जो हस्रते दिल है / अकबर इलाहाबादी

जो हस्रते दिल है, वह निकलने की नहीं

जो बात है काम की, वह चलने की नहीं

यह भी है बहुत कि दिल सँभाले रहिए
क़ौमी हालत यहाँ सँभलने की नहीं