जिन पे अजल तारी थी उन को ज़िंदा करता है सूरज जल कर कितने दिलों को ठंडा करता है …
Read moreजब सुब्ह की दहलीज़ पे बाज़ार लगेगा हर मंज़र-ए-शब ख़्वाब की दीवार लगेगा पल भर मे…
Read moreहाँ यही शहर मेरे ख़्वाबों का गहवारा था इन्ही गलियों में कहीं मेरा सनम-ख़ाना था …
Read moreघुटन अज़ाब-ए-बदन की न मेरी जान में ला बदल के घर मेरा मुझ को मेरे मकान में ला मे…
Read moreफ़ित्ने अजब तरह के समन-ज़ार से उठे सारे परिंद शाख़-ए-समर-दार से उठे दीवार ने क़…
Read moreदूर तक बस इक धुंदलका गर्द-ए-तंहाई का था रास्तों को रंज मेरी आबला-पाई का था फ़स्…
Read moreदिल दबा जाता है कितना आज ग़म के बार से कैसी तंहाई टपकती है दर ओ दीवार से मंज़िल…
Read moreबस इक तसलसुल-ए-तकरार-ए-क़ुर्ब-ओ-दूरी था विसाल ओ हिज्र का हर मरहला उबूरी था मेरी…
Read moreबदन से रिश्ता-ए-जाँ मोतबर न था मेरा मैं जिस में रहता था शायद वो घर न था मेरा क़…
Read moreआँख में आँसू का और दिल में लहू का काल है है तमन्ना का वही जो ज़िंदगी का हाल है …
Read moreहर क़दम कहता है तू आया है जाने के लिए मंज़िल-ए-हस्ती नहीं है दिल लगाने के लिए क…
Read moreचर्ख़ से कुछ उम्मीद थी ही नहीं आरज़ू मैं ने कोई की ही नहीं मज़हबी बहस मैं ने की…
Read moreग़म्ज़ा नहीं होता के इशारा नहीं होता आँख उन से जो मिलती है तो क्या क्या नहीं हो…
Read moreहूँ मैं परवाना मगर शम्मा तो हो रात तो हो जान देने को हूँ मौजूद कोई बात तो हो दि…
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