मौत आई इश्क़ में तो हमें नींद आ गईनिकली बदन से जान तो काँटा निकल गया
बाज़ारे-मग़रिबी की हवा से ख़ुदा बचाए
मैं क्या, महाजनों का दिवाला निकल गया
मौत आई इश्क़ में तो हमें नींद आ गईनिकली बदन से जान तो काँटा निकल गया
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