मौत आई इश्क़ में / अकबर इलाहाबादी

मौत आई इश्क़ में तो हमें नींद आ गई

निकली बदन से जान तो काँटा निकल गया

बाज़ारे-मग़रिबी की हवा से ख़ुदा बचाए
मैं क्या, महाजनों का दिवाला निकल गया