आबे ज़मज़म से कहा मैंने / अकबर इलाहाबादी


आबे ज़मज़म से कहा मैंने मिला गंगा से क्यों

क्यों तेरी तीनत[1] में इतनी नातवानी[2] आ गई?

वह लगा कहने कि हज़रत! आप देखें तो ज़रा
बन्द था शीशी में, अब मुझमें रवानी आ गई