समझे वही इसको जो हो दीवाना किसी का
'अकबर' ये ग़ज़ल मेरी है अफ़साना किसी का
अल्लाह ने दी है जो तुम्हे चाँद-सी सूरत
ऐसा भी किसी शब सुनो अफ़साना किसी का
हसरत ही से आबाद है वीराना किसी का
करने जो नहीं देते बयां हालत-ए-दिल को
कोई न हुआ रूह का साथी दम-ए-आख़िर
काम आया न इस वक़्त में याराना किसी का
जब से दिल-ए-बेताब है दीवाना किसी का